रथ का मेला देखने को उमड़ी भक्तों की भीड़…
1 min readवृंदावन, नव निर्माण भारत | धर्म नगरी वृंदावन में दक्षिणात्य शैली के श्री रंगनाथ मंदिर में चल रहे दस दिवसीय ब्रह्मोत्सव में मंगलवार को भगवान गोदारंगमन्नार ने चंदन की लकड़ी से निर्मित विशालकाय रथ पर विराजमान हो अपने भक्तों को दर्शन देकर कृतार्थ किया। उत्तर भारत के प्रसिद्ध रथ का मेला के नाम से विख्यात इस दस दिवसीय ब्रह्मोत्सव में जहां भगवान गोदारंगमन्नार प्रतिदिन सुबह शाम सोने-चांदी के दिव्य वाहनों पर विराजमान होकर मंदिर से रंगजी के बड़े बगीचा तक भ्रमण कर रहे हैं।
वहीं ब्रह्मोत्सव के सातवें दिन ठाकुरजी ने चंदन की लकड़ी से बने विशाल रथ पर विराजमान होकर भ्रमण किया। प्रातःकाल मंदिर के पुजारियों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य विधिविधान से पूजा अर्चना कर ठाकुरजी को रथ में विराजमान किया। करीब 15 फुट चौड़े, 20 फुट लंबे और 50 फुट ऊंचे रथ की छवि देखते ही बन रही थी।
उच्चश्रेवा नामक चार श्वेत घोड़ों की लगाम थामे पार्षद, मुख्य पार्षद जय विजय, दिग्पाल, विश्वकसेन जी आदि देवताओं से सुसज्जित रथ पर सजी रंगबिरंगी पताकाएं, देशी विदेशी सुगन्धित पुष्प, केलि के तने, हरे पत्ते आदि से सुसज्जित रथ का आकर्षण अपनी दिव्यता से भक्तों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा था। बैंडबाजे एवं दक्षिण शैली के वाद्य यंत्रों की धार्मिक धुनों के मध्य मंदिर से शुरू हुई रथ की सवारी सवारी बड़े बगीचा पहुंची।
जहां कुछ देर विश्राम के बाद सवारी पुनः मंदिर आकर संपन्न हुई। वहीं रथ का मेला देखने के लिए नगर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी और विशालकाय रथ को खीचकर पुण्य कमाने के लिए भक्तों में होड़ सी लग गई वहीं हजारों भक्तों ने विशाल रथ में विराजमान ठाकुरजी के दर्शन एवं रथ को खींचकर स्वयं को धन्य किया। इसके साथ ही आनन्दित भक्त जयघोष करने लगे, जिससे चारों ओर भगवान रंगनाथ के जयकारों से गुंजायमान हो उठे।