राम जन्मभूमि अयोध्या से साध्वी ऋतम्भरा के देर रात लौटने पर वात्सल्य ग्राम में मनाया गया “उल्लास पर्व”।
1 min readमथुरा, नव निर्माण भारत। साध्वी ऋतंभरा के वात्सल्य ग्राम पहुंचने पर शिष्य- शिष्याओं एवं गोकुलम की माताओं ने मुख्य द्वार पर उनका पुष्प मालाएं पहनाकर भव्य स्वागत कर 108 दीपों से आरती उतारी।
भगवा पताकाओं के बीच आतिशबाजी करते हुए ढोल नगाड़ों के साथ नाचते-गाते दीदी माँ को मंगल मानस ले गए जहाँ उन्होंने सर्व मंगला माता का पूजा अर्चन किया। सभी ने उल्लास के साथ खुशियां मनाई नृत्य किया।
साध्वी ऋतम्भरा ने बताया कि प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा से भारत का खोया गौरव फिर से लौट आया है। अयोध्यापुरी अब पूरे विश्व की सांस्कृतिक राजधानी बनेगी। श्री रामलला के दर्शनों से वर्षों वर्ष का ताप-संताप दूर हो गया है और हृदय की दरिद्रता चली गई है।
500 सालों की प्रतीक्षा के बाद मंदिर बना तो प्राण प्रतिष्ठा भी उसी भव्यता और दिव्यता के साथ हुई है। 11 दिन के उपवास और तप के बाद प्रधानमंत्री ने प्रभु राम की प्राण -प्रतिष्ठा पूजन किया तो ऐसा लगा कि युगों बाद भारत को ऐसे प्रधानमंत्री मिले हैं जिन्होंने बहुसंख्यक सनातनी जगत की जन भावनाओं को समझा और उसका सम्मान किया।
ऋषियों-मुनियों, शूरवीरों के श्रम और साधना के कारण ही हमको यह दिन देखने को मिला है, बहुत वर्षों का बोझ मेरे हृदय से उतर गया है मेरा वर्षों का आर्तनाद पर्मोल्लास में परिवर्तित हो गया है।
वहीं साध्वी ऋतंभरा ने वात्सल्य ग्रामवासियों को प्राण प्रतिष्ठा की शुभाकामनाएं दी और मिठाई का वितरण किया। देर रात तक चले इस “उल्लास उत्सव” में सभी ने खूब जमकर के नृत्य किया।
इस अवसर पर संजय भैया, साध्वी साक्षी चेतना, साध्वी सुह्रदया, सत्यप्रिया, स्वामी सत्याशील, स्वामी सत्यश्रवा, कुलभूषण गुप्ता, साध्वी समन्विता, साध्वी सत्यकीर्ति, साध्वी सत्य व्रता, साध्वी सत्यनिष्ठा, साध्वी सत्यश्रद्धा, साध्वी सत्य मूर्ति, साध्वी सत्य निधि एवं गोकुलम परिवार उपस्थित रहा।